लहटन चौधरी महाविद्यालय
पस्तवार , बलुआहा, महिषी, सहरसा
लहटन चौधरी महाविद्यालय
लहटन चौधरी महाविद्यालय, पस्तवार , बलुआहा, महिषी, सहरसा की स्थापना वर्ष 1986 में हुई। इस महाविद्यालय की स्थापना सुदूर बाढ़ प्रभावित कोशी क्षेत्र के उच्च शिक्षा से वंचित छात्र / छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से इस क्षेत्र के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री स्व. लहटन चौधरी के नाम से की गयी। महिषी प्रखंड मुख्यालय हैं। यह क्षेत्र हरिजन, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र है। यहाँ की अधिकांश आबादी आर्थिक एवं शिक्षा के दृष्टिकोण से काफी पिछड़ा हैं।
यह महाविद्यालय बड़ी कोशी नदी के पूर्वी तटबंध के किनारे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के हृदय स्थली मंडन भारतीय एवं उग्रतारा पीठ महिषी से तीन किलोमीटर उत्तर राजनपुर – कर्णपुर मुख्य पक्की सड़क के सटे पश्चिम पस्तवार बलुआहा के बीच अवस्थित हैं।
इस महाविद्यालय के पूरब – लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर एस. एन. एस. आर. के. एस. कॉलेज, सहरसा, पश्चिम – 32 किलोमीटर की दूरी पर कोशी कॉलेज, बिरौल, दरभंगा, उत्तर – 45 किलोमीटर की दूरी पर बी. एस. एस. कॉलेज सुपौल एवं दक्षिण – 50 किलोमीटर की दूरी पर कोशी कॉलेज, खगड़िया है। महिषी का पश्चिम एवं दक्षिण दिशा बड़ी कोशी नदी से घिरा हैं जो भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय परिक्षेत्र की अंतिम सीमा हैं।
इस सम्पूर्ण क्षेत्र की आबादी लगभग 10 लाख से अधिक है और औसतन 40 किलोमीटर की परिधि में कोई डिग्री स्तरीय महाविद्यालय नहीं है। इस महान स्वतंत्रता सेनानी के नाम से इस क्षेत्र में एक मात्र स्नातक महाविद्यालय है जिसे स्थायी प्रस्वीकृति प्राप्त है। फलतः इस क्षेत्र में निवास करने वाले अधिकांश निर्धन, हरिजन, अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग के छात्र एवं खासकर छात्राएं स्नातक स्तरीय उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
इस प्रकार आर्थिक एवं शिक्षा के दृष्टिकोण से पिछड़े सुदूर कोशी क्षेत्र में हरिजन, अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग एवं महिलाओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से इस महाविद्यालय की स्थापना का पूर्णतः उपयोगिता / व्यवहार्यता एवं औचित्य है।